18-01-13  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

“बापदादा की आश - अब ब्रह्मा बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने का कदम उमंग-उत्साह से तीव्र करो, इसका विशेष प्लैन बनाओ”

आज बापदादा अपने मीठे-मीठे प्यारे-प्यारे बच्चों को देख खुश हो रहे हैं। सबके दिल से वाह बाबा वाह निकल रहा है और बाप के मुख से वाह बच्चे वाह! यही बोल निकल रहे हैं। आज चारों ओर के बच्चों को भी बापदादा देख रहे हैं, सबके मन में ब्रह्मा बाप के स्नेह की झलक दिखाई दे रही है। सबके मन में प्यार की लहर दिखाई दे रही है। बाप के मन में भी हर बच्चों के प्रति प्यार की लहरें आ रही हैं। यह प्यार अलौकिक प्यार है। बापदादा ने देखा मैजारिटी बच्चे प्यार की शक्ति से ही चल रहे हैं। बाप को भी हर बच्चे के प्रति प्यार आ रहा है और दिल से हर बच्चे प्रति यही निकलता मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे, हर बच्चे को बाप ने तीन तख्त के मालिक बनाया है। जानते हो ना! सारे कल्प में कोई भी आत्मा तीन तख्त के मालिक नहीं बन सकती लेकिन आप श्रेष्ठ आत्मायेँ तीन तख्त के मालिक बन कितने रूहानी प्यार में, नशे में रहते हो! हर एक अपने से पूछे इतनी खुशी, इतना रूहानी नशा सदा स्मृति में रहता है? सदा शब्द सदा याद है? बापदादा को कभी-कभी शब्द अच्छा नहीं लगता। 

तो आज सभी चाहे सामने बैठे हैं, चाहे अपने-अपने स्थानों पर बैठे हैं लेकिन बाप तो देख ही रहे हैं, दूर होते भी बाप के तो सामने ही हैं। तो बाप ने देखा हर एक बच्चा आज विशेष ब्रह्मा बाप के स्नेह में समाये हुए हैं। स्नेह मुश्किल बात को भी सहज करने वाला होता है। तो बापदादा हर एक बच्चे से अति स्नेह करते हैं। चाहे पुरुषार्थी हैं लेकिन हैं तो बाप के बच्चे। तो आज बापदादा यही चाहते हैं कि हर एक बच्चे के मुख से सदा शब्द निकले। हो सकता है? जो समझते हैं कि अब से सदा शब्द सहज है, लक्ष्य रखकर लक्षण आ ही जायेँगे क्योंकि बापदादा मददगार है, वह हाथ उठाओ। वाह वाह! वाह बच्चे वाह! ताली बजाओ। 

बापदादा भी सिर्फ सामने वालों को नहीं लेकिन चारों तरफ के बच्चों को देख प्यार से कहते वाह बच्चे वाह! जैसे मैजारिटी बच्चे बापदादा से दिल के प्यार में नम्बरवन हैं ऐसे सदा विजयी, इससे भी कभी-कभी शब्द निकल जाए। यह हो सकता है? हो सकता है? इसमें हाथ उठाओ। हाथ बड़ा उठाओ, हिलाओ। हाथ तो बहुत अच्छे हिल रहे हैं। बापदादा बच्चों को हिम्मत में देख खुश होते हैं। एक-एक बच्चे से बाप का, दोनों बाप, बापदादा दोनों का दिल का प्यार सदा है और सदा रहेगा। अगर चलते-चलते थोड़ा सा माया का वार हो भी जाता है तो भी बाप का प्यार समाप्त नहीं हो सकता। और ही बापदादा साथी बच्चों को यही कहते इनको एकस्ट्रा सहयोग, प्यार दे करके उड़ाओ। अब बापदादा यही चाहते हैं समय को तो सब जानते ही हो। समय कहाँ जा रहा है, यह सब जानते हैं। तो समय को देखते बापदादा की अचानक की बातें याद करो। बापदादा की यही दिल की आश है एक भी बच्चा पीछे न हो, साथ रहे, साथ चले। साथ रहना स्थूल नहीं, लेकिन दिल से सदा श्रीमत पर चलना, यही सदा साथ है। तो अभी समय प्रमाण जैसे प्यार होता है तो समझते हैं साथ रहें, साथ रहना स्थूल में तो हो नहीं सकता लेकिन जो बाप चाहता है, परिवार साथी चाहते हैं उसमें समान और साथी बनके चलना यही साथ है। 

तो जैसे आज के दिन बापदादा के पास प्यार की लहर चारों ओर के हर बच्चे की पहुँची है, ऐसे ही बापदादा की शुभ आशा है कि हर रोज अमृतवेले से लेके रात तक जो भी मन, वचन, कर्म में कार्य करते हो, उसमें चेक करो बाप का कहना और मेरा करना समान रहा? यह हो सकता है! ईजी है? मुरली रोज की बाप का कहना है। तो हर एक चेक करे बाप का कहना मेरा करना, एक रहा? यह मुश्किल तो नहीं क्योंकि हर एक रात को सोने के पहले अपने रोज की रिजल्ट चेक तो करते ही होंगे। बाप अभी चाहते हैं कि आप बच्चे स्वयं सम्पन्न बन समय को समीप लाओ। ब्रह्मा बाप भी आवाहन कर रहे हैं आओ बच्चे साथ चलें अपने राज्य में। आत्माओं को भी मुक्ति का गेट खुलवाकर मुक्ति का पार्ट बजाने दो। किसको राज्य, किसको मुक्ति। 

तो आज के दिन अमृतवेले से लेके स्नेह की मालायेँ तो सब तरफ से बहुत पहुँच गई। बापदादा सबको भेजने वालों को मुबारक दे रहे हैं। अब क्या करना है? अब जो बापदादा और आपकी भी चाहना यही है कि सब सम्पन्न और सम्पूर्ण बन जायेँ। इस कदम को और तीव्र करो। आपको भी पसन्द है ना! दुःख अशान्ति अपने भाई बहनों की सुनते अच्छी नहीं लगती है ना! अब आपस में मिलके और बातों में समय न देके यह प्लैन बनाओ। चारों ओर सम्पन्न सम्पूर्ण बनने का उमंग-उत्साह हो। ब्रह्मा बाप यही चाहते हैं मेरा एक-एक बच्चा मेरे समान सम्पन्न बन जाये। यह ब्रह्मा बाप की आशा पूर्ण तो करेंगे ना! तो आज ब्रह्मा बाप चारों ओर के बच्चों पर स्नेह और शक्तियों की लहर वा शुभ संकल्प की लहर फैला रहे थे। बाप भी ब्रह्मा बाप से बच्चों का प्यार देख करके आज फूल फैलाने का दिन है ना, तो बाप भी शुभ आशाओं के फूल “कहा और किया” इस उम्मीदों के नहीं लेकिन तीव्र पुरुषार्थ के फूल आप चारों ओर के बच्चों पर डाल रहे थे। अच्छा।

बापदादा हर बच्चे को चाहे नये भी आये हो, पहले बारी जो आये हैं वह उठो। देखो, सभी मैजारिटी आधा नये आये हैं। आने वालों को बहुत-बहुत बापदादा का यादप्यार स्वीकार हो। बापदादा खुश है लेकिन कमाल करके दिखाना। अच्छा। देख रहे हैं, हर एक बच्चा सामने दिखाई दे रहा है, चाहे वहाँ है चाहे लास्ट है लेकिन इसमें (बापदादा के सामने टी. वी. रखी है) सामने ही दिखाई दे रहा है तो एक-एक बच्चे को बापदादा का यादप्यार स्वीकार हो। अभी परिवर्तन जल्दी-जल्दी करना पड़ेगा। आ गये उसकी मुबारक, अभी पुरुषार्थ कर नम्बर आगे लेके फिर मुबारक लेना। अच्छा, बैठ जाओ, भले पधारे। 

सेवा का टर्न पंजाब जोन का है:- भले पधारे। अच्छा है, पंजाब में ब्रह्मा बाप का बहुत प्यार था। खास पंजाब में चक्कर लगाके रहा। सभी जगह नहीं गये ब्रह्मा बाप लेकिन थोड़े स्थानों में गये, उसमें भी पंजाब में भी गये तो पंजाब को बाप ने अपने डायरेक्ट वरदान दिये हैं और पंजाब की विशेषता कुमारियां टीचर्स बहुत अच्छी निकाली हैं। बहादुर, डरने वाली नहीं। ठीक है ना टीचर्स। बहादुर हो ना, डरने वाली तो नहीं हो। नही हैं। आखिर भी सभी को कितने भी बड़े हैं, क्या भी हैं लेकिन आखिर तो जय शिव शक्तियां कहना ही पड़ेगा। अच्छा है बापदादा सेवा में तो हर एक को देखते हैं कि कर रहे हैं, करते रहेंगे लेकिन एक बात सभी जोन के लिए जो बापदादा ने कही है, सर्टीफिकेट लेने के लिए वह अभी तक किसी जोन ने नहीं ली है। अभी पंजाब को नम्बरवन जाना चाहिए। एक ने कहा, सभी ने प्यार से किया और जैसे स्थूल में एक दो को साथ देते हो वैसे सस्कारों के मिलन में भी प्रत्यक्ष फल दिखाओ। ठीक है ना! अभी वह नम्बर नहीं आया है, अभी तक कोई भी जोन की यह रिजल्ट नहीं आई है। पंजाब करेगा। करेंगे ना? टीचर्स हाथ उठाओ। टीचर्स तो बहुत हैं। बहुत अच्छा, बापदादा खुश है। 

डबल विदेशी:- विदेशी, लेकिन बापदादा विदेशी बच्चों का उमंग उत्साह देख खुश है और बापदादा को विशेष खुशी है कि मधुबन में आके हर एक अपने पुरुषार्थ में एडीशन करते हैं। आप जो भी सभी आये हैं तो विशेष कोई न कोई बात में अटेन्शन दिया है ना! आगे से यह बात नहीं करनी है और यह बात करनी है, दोनों का स्पष्टीकरण लेके जाते हैं और बापदादा ने देखा अटेन्शन देते भी हैं और निमित्त बने हुए अटेन्शन दिलाते भी हैं इसलिए बापदादा खुश होते हैं कि अटेन्शन देके कई परिवर्तन भी करते हैं यह रिजल्ट बापदादा ने देखी है और आगे के लिए यह अटेन्शन देना कि मधुबन हैं आना अर्थात् कोई न कोई बात का प्रोग्रेस करना। तो आप सभी ने किया है? हाथ उठाओ। कुछ न कुछ परिवर्तन करके ही जाना। है ठीक है, मंज़ूर है? बापदादा का भी प्यार है क्योंकि बापदादा ने देखा है डबल सर्विस करते भी कई बच्चे बहुत अच्छे तीव्र पुरुषार्थी भी हैं। बापदादा खुश है और नम्बर सदा आगे लेते रहना। चल रहे हैं, नहीं। नम्बर कौन सा? आ रहे हैं, क्लास कर रहे है नहीं। हर दिन प्रोग्रेस क्या किया? मुरली सुनना, धारण करना, इसका प्रूफ है परिवर्तन करना। तो अच्छा है बापदादा खुश है। करते हैं और आगे भी करते रहेंगे। अच्छा है। हाथ हिलाओ बापदादा सभी को देख रहे हैं क्योंकि इसमें (टीवी में) खास आता है। देखो ड्रामानुसार जब बच्चे आये थे उनसे 100 साल पहले यह साइन्स ने तरक्की की, तो अभी भी देखो यह साइन्स आपके काम में आ रही है। ठीक है ना! अच्छा। सभी बच्चों से, एक-एक बच्चा पीछे वाला भी ऐसे ही समझो हम बापदादा के सामने हैं और बापदादा मेरे को यादप्यार दे रहे हैं। 

कलकत्ता वालों ने सभी स्थानों पर फूलों से क्षृंगार किया है:- अच्छा करते हैं, दिल से करते हैं, मेहनत भी करते है हैं इसीलिए इन्हों को खास बापदादा की तरफ से दो दो टोली और 6-6 फल इन्हों को देना। मेहनत जिन्होंने की है, उन्हों को फल तो मिलना चाहिए ना। बाकी अच्छा है दिल से करते हैं और दिल को अच्छा लगता है। मुबारक हो। सेवा की, एक आने की दूसरा सेवा की तो मुबारक हो। अच्छा। 

अभी चारों ओर के बच्चे बापदादा उन्हों को देख रहे हैं, वह भी बापदादा को देख रहे हैं, तो सभी को बहुत-बहुत तीव पुरुषार्थी, सोचा और किया, इसको कहते हैं तीव्र पुरुषार्थी। तो जो भी तीव पुरुषार्थी बच्चे हैं, उन एक-एक को बापदादा तीव्र पुरुषार्थ के लक्ष्य की मुबारक भी दे रहे हैं और साथ-साथ आगे बढ़ने की बधाई भी दे रहे हैं। अच्छा। 

आज तो सबसे मिले ना। देखो, एक-एक से अलग सामने तो मिल नहीं सकते लेकिन एक-एक को दूर बैठे भी साथ में अनुभव करते यादप्यार दे रहे हैं। अच्छा। अभी क्या करना है। 

बापदादा ने दादी जानकी जी को फूलों का हार पहनाया:- क्या करूँ, नहीं कर रही हो। सभी अच्छा कर रहे हैं। जो भी निमित्त बने हैं वह सब अच्छा कर रहे हैं। सुना। (दादी जानकी जी ने कुछेक भाई बहिनों की बाबा को याद है) उनको कहना बापदादा अमृतवेले चक्कर लगाते हैं तो इन्हों के पास भी चक्र लगाते हैं। (नारायण दादा हॉस्पिटल में हैं) सेवा ध्यान से करना और यादप्यार भी देना।

मोहिनी बहन ने अहमदाबाद हॉस्पिटल से याद भेजी है:- कितनी भी बीमारी हो लेकिन बापदादा याद है तो बीमारी कम हो जाती है। जितनी कोशिश करके याद में रहते हैं, तो बीमारी आधी हो जाती है। जैसे वह दवाई है तो पहली दवाई यह याद की है, तो कर रहे हैं, करते रहेंगे। अच्छे हैं। फिर भी इतना सहन करने की हिम्मत है। अच्छा है, ठीक हो जायेगी। 

निर्मल शान्ता दादी कमरे में हैं:- अभी भी कमरे में सुनेगी। वह याद करती है और बाप भी यादप्यार देते हैं। नारायण को बाप की तरफ से टोली भेज देना। 

सभी को बाप की याद देते ही रहना। अच्छा है। दिल्ली वाले भी अच्छा पुरुषार्थ कर रहे व हैं। (बृजमोहन भाई ने शिवजयन्ती के प्रोग्राम की जानकारी दी) बहुत अच्छा मिलकर करने से आवाज फैलता है। भले कोने कोने में तो करना पड़ता है लेकिन इकट्टा करने से चारों ओर फैलता है। अच्छा है, सभी को हर एक दिल्ली वाले समझे, हमको यादप्यार मिला है। (रमेश भाई से) तबियत ठीक है। बहुत अच्छा। (स्टुडियो की सेवा कैसे बढ़ायेँ) उसमें कोई ग्रुप बनाओ। सेवा की कमेटी थोड़ी बनाओ, उसके ऊपर जिसे चाहिए उसको रखो और फिर रिजल्ट पूछो, जो सोचा वह किया! अगर कोई प्रोब्लेम हो तो वह भी उनकी हल करो। रात को 5 मिनट भी बैठ करके मुबारक दो, उमंग में आवें। मेहनत तो करनी पड़ती है। अच्छा है। सभी को याद देना। 

यज्ञ निवासी बापदादा के बच्चों से सबका बहुत प्यार है। बापदादा के निमित्त बने हुए जो भी बच्चे हैं। दादियाँ निमित्त बनी हैं, तो उन्हों को भी बाबा विशेष दुआयेँ देते हैं। दुआओं से ही वह चलती हैं और चलाते हैं। विशेष दुआयेँ स्पेशल उन निमित्त बने हुओं को, चाहे भाई हो चाहे बहन हो, लेकिन निमित्त बने हुए कोई भी कार्य के लिए हैं, उन्हो को स्पेशल दुआयेँ मिलती रहती हैं। मिलती रहेंगी। अच्छा।

ओम् शान्ति।